उस रोज़ चाँद से झगड़ा हो गया था उसका
अपने कमरे की खिड़की पर खड़े होके बहुत भला बुरा कहा उसने
नोंच लिया चाँद के मुंह को
इतने गुस्से में थी के चाँद के साथ बितायी पिछले रात में से एक लम्हा उठा के चाँद के ऊपर दे मारा
सैकड़ों तारों में टूट के वो लम्हा पूरे आसमान में बिखर गया
चाँद बेचारा चुपचाप उसकी बातें सुन रहा था
वो रो रही थी तो प्रकाशों मील दूर से हाथ लम्बा करके
उसके आंसू पोंछ रहा था
चाँद को यूँ शांत और सहज देख के उसका गुस्सा और बढ़ गया
और फिर चाँद को डांट दिया तुमको सब मज़ाक लगता है न
सब आसान लगता है
कभी मेरी जगह आ के देखो कितना मुश्किल है रोज़ खुद से लड़ना
हर रोज़ न चाह के भी हंसना
खुद के वज़ूद को दिन बा दिन कम होते देखना
चाँद ने मुस्कुरा के उसको देखा
उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों के बीच रखा
उसकी पेशानी को चूम के बोला
क्यों मैं तुमसे अलग हूँ क्या
हर रोज़ थोड़ा थोड़ा काम होता हूँ
और एक दिन गायब हो जा हूँ
लेकिन मैं तो नहीं रोता
क्योंकि पता है मुझे के मैं धीरे धीरे हर रोज़ थोड़ा थोड़ा फिर बढूंगा
फिर पूरा हो जाऊंगा एक दिन
फिर ज़ोर से उसको गले लगा के बोला
हम दोनों एक ही जैसे हैं..
तुम बस खुश रहो
एक दिन तुम भी पूरी हो जाओगी
अपने कमरे की खिड़की पर खड़े होके बहुत भला बुरा कहा उसने
नोंच लिया चाँद के मुंह को
इतने गुस्से में थी के चाँद के साथ बितायी पिछले रात में से एक लम्हा उठा के चाँद के ऊपर दे मारा
सैकड़ों तारों में टूट के वो लम्हा पूरे आसमान में बिखर गया
चाँद बेचारा चुपचाप उसकी बातें सुन रहा था
वो रो रही थी तो प्रकाशों मील दूर से हाथ लम्बा करके
उसके आंसू पोंछ रहा था
चाँद को यूँ शांत और सहज देख के उसका गुस्सा और बढ़ गया
और फिर चाँद को डांट दिया तुमको सब मज़ाक लगता है न
सब आसान लगता है
कभी मेरी जगह आ के देखो कितना मुश्किल है रोज़ खुद से लड़ना
हर रोज़ न चाह के भी हंसना
खुद के वज़ूद को दिन बा दिन कम होते देखना
चाँद ने मुस्कुरा के उसको देखा
उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों के बीच रखा
उसकी पेशानी को चूम के बोला
क्यों मैं तुमसे अलग हूँ क्या
हर रोज़ थोड़ा थोड़ा काम होता हूँ
और एक दिन गायब हो जा हूँ
लेकिन मैं तो नहीं रोता
क्योंकि पता है मुझे के मैं धीरे धीरे हर रोज़ थोड़ा थोड़ा फिर बढूंगा
फिर पूरा हो जाऊंगा एक दिन
फिर ज़ोर से उसको गले लगा के बोला
हम दोनों एक ही जैसे हैं..
तुम बस खुश रहो
एक दिन तुम भी पूरी हो जाओगी