आज आखिरी दिन था उसका इस शहर मे.
जब आई थी वो यहाँ तो सोचा नही था के कुछ ऐसा भी हो सकता है जिससे उसे प्यार हो जायेगा इस शहर से।
लेकिन वो कहते हैं ना के जो किस्मत में लिखा हो वो हो ही जाता है चाहे जितना भाग लो उस से. ट्रेन का टिकट हाथ में था लेकिन अभी भी वो चाह रही थी के उसे कोई रोक ले.... कोई नही 'वो' रोक ले उसे..... एक बार तो बोले के रुक जा, तू ऐसे नही जा सकती सब छोड़ के.
लेकिन नही आया कोई. न वो खुद आया, न फ़ोन न मैसेज
दोनों के बीच यूँ तो कोई ख़ास रिश्ता भी नही था, मगर कुछ तो था जो दर्द दे रहा था उसे दिल में..वो ख़ामोशी उसकी आधी जान तो ले ही चुकी थी.. अब ये दूरी शायद खत्म ही कर देगी उनके एहसासों को. हाँ... एहसासों को, क्योंकि रिश्ता तो कोई बना ही नही ।।
और फिर सोचने लगी वो उस पल को जब उस से पहली बार बात हुयी थी.. वो अजनबी सा लगा ही नही था उसे.. यूँ लगा के कोई ऐसा है जो उसके मन की बात को आसानी से शब्दों में बयां कर देता है.
एक मिसरा फिर दूसरा … एक शेर फिर दूसरा
रास्ता ख़त्म हुआ था लेकिन एक सिलसिला बस शुरू सा हुआ था ।।
हिचकिचाहट भी थी मन में लेकिन सब कुछ बहुत अच्छा सा लग रहा था.… उसने पहले कभी ऐसा महसूस नही किया था. ये एहसास उसके लिए कुछ नया सा ही तो था।
और फिर बातों और शब्दों का एक ऐसा खेल शुरू हुआ जिसको वो दोनों बस खेलते ही जा रहे थे.. ना हार की चिंता न जीत का जोश.. बस खेल था एक.. और दोनों खेल रहे थे
शब्दों से आगे बात आवाज़ तक पहुंची। … दोनों के एहसासों को एक नयी पहचान सी मिली और फिर आवाज़ से बात मुलाक़ात तक गयी.. घंटों तक बैठे थे दोनों एक दूसरे के सामने … दो कॉफ़ी मग थे और ढेर सारी बातें… उसकी आवाज़ की संजीदगी इसके दिल में अपनी जगह बना चुकी थी..
एक मुलाक़ात, फिर दूसरी और फिर तीसरी … एक दूसरे का हाथ पकड़े एक सूनसान सी सड़क पर दोनों चल रहे थे... पहली बार उसको एहसास हुआ था कि किसी के साथ चलना कितना अच्छा लगता है…
लेकिन फिर ना वक़्त ने साथ दिया ना शब्दों ने। ।
वो हाथ जो उस रात छूट के अपने अपने घर को गए वो कभी फिर साथ नहीं आ पाये… वो एक आखिरी मुलाक़ात को भी तैयार नही हुआ…
कई बार कोशिश की उसने, लेकिन……
और आज का दिन आ गया… जब वो सारी मुलाक़ातें, सारे शब्दों, वो कॉफ़ी, वो हाथ, वो साथ और वो एहसास सब छोड़ के जा रही थी…
लेकिन एक विश्वास तो है उसे के सब कुछ भले ही खत्म हो गया हो लेकिन एक रिश्ता जो शब्दों का था उनके बीच वो कभी खत्म नही होगा
उन शब्दों को वो अर्से बाद भी पहचान लेगा अगर जो उसके लिए लिखे जायेंगे...