वो दरवाज़ा हमेशा खुला रहता था,
कभी बंद नहीं करते थे वो लोग,
उन्हें शायद किसी चीज़ के खोने का डर ही नहीं था..
या शायद कुछ था ही नहीं उस घर में चोरी करने लायक
ना सामान,
ना जवाहरात,
ना रिश्ते,
ना संवेदनाएं !!!
कभी बंद नहीं करते थे वो लोग,
उन्हें शायद किसी चीज़ के खोने का डर ही नहीं था..
या शायद कुछ था ही नहीं उस घर में चोरी करने लायक
ना सामान,
ना जवाहरात,
ना रिश्ते,
ना संवेदनाएं !!!
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