कभी बारिश सुनी है क्या तुमने?
पेड़ों पे... छतों पे... टीन की चादर पे..
बारिश का संगीत सुना है कभी ?
अपनी मसरूफ ज़िन्दगी से थोड़ा वक़्त मिले
तो सुनना कभी
बहुत मीठा गाती है ये बारिश
और मज़े की बात ये है,
के मुझे लगता है के ये मेरे लिए ही गाती है
मैं खुश होती हूँ तो बारिश भी ख़ुशी से गाती है
मैं उदास होती हूँ तो कुछ उदासी का गाना गाती हुयी,
समझाती है मुझे, के सब ठीक हो जायेगा इतना परेशान मत हो
और पता नही बारिश को कैसे पता चला
के कल रात मेरा झगड़ा हो गया था,
और बेमौसम आ गयी जाने कहाँ से
मैंने बहुत रोका खुद को, के ना देखूं
लेकिन शायद देखे बिना नींद नही आती
इसलिए बैठ गयी अपने बिस्तर के बायें तरफ वाली खिड़की पे
देखने लगी बारिश,
सुनने लगी..
छत पे.. पेड़ों पे... खिड़कियों पे... टीन पे..
सड़कों के गड्ढों में जमा पानी में...
और दूर से आती बारिश की धुन...
वो बारिश की आवाज़ जो मुझे सुकून सा देती है
सुनना कभी...
कभी बारिश सुनी है क्या ?