Friday, 5 September 2014

आज भी है

आँखों में नमी है, आवाज़ भारी है 
दिल को किसी का इंतज़ार आज भी है 

साँसों से आज भी आती है एक खुशबू 
मेरे धड़कनो में तेरा साज़ आज भी है 

मैं भूल चुकी थी उस एहसास को 
तेरी आँखों से मुझे प्यार आज भी है 

न याद किया तुझे और न याद करती हूँ 
मगर कहीं दबी हुई एक आस आज भी है 

मैंने मिटा दिया था सब, 
खत्म कर दिया था
एक दोस्त ने याद दिलाया तो लगा 
के बिखरा हुआ वो रंग, गहरा आज भी है 

3 comments:

  1. Toooooo beautiful....this one is just awesome...bikhra rang gehra aaj bhi hai..waah..awesome one sis..<3

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  2. Isiliye toh dost sabse pyaara hota hai, ehsas apne pan ka dilata hai :)

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