Meenu Joshi
Sunday, 28 July 2013
नहीं
तुमने क्या सोचा, क्या समझा पर हम गुनाहगार नहीं
तुमने न पूछा, ना जाना मगर हम कसूरवार नहीं
बहुत हो गए सितम, और रोने के हम तलबगार नहीं
हमसे मुस्कुराने को मत कहना, हमसे ना होगा, इतने अच्छे हम अदाकार नहीं
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