कितना अच्छा हो
के सफ़र ख़त्म ही ना हो
चलता ही चले
बढ़ता ही रहे ||
ना मंजिल का इंतज़ार
ना लम्बे रास्तों का डर
ना किसी के साथ की ज़रूरत
ना किसी से बिछड़ने की हकीक़त ||
चलती रहे गाड़ी
खिलती रहे वादी ||
तेज़ हवा बालों को सहलाए
धीरे धीरे पूरे तन को छू जाये ||
पार करते चलें नदी, शहर और
गाँव
सफ़र बढ़ता रहे कभी थकने ना पाएं पाँव
||
दूर दिखे सूरज हो ढलता
पूरे नभ को अपने रंग में हो रंगता ||
लौटता सा दिखे पंछियों का दल
गिरता दिखे कहीं पेड़ से एक फल ||
इक ओर बच्चे झूमते हों बारिश
में
कहीं इक बुज़ुर्ग हँसता सा दिखे चौपाल
की चारपाई में ||
कच्छी सड़कों पे स्कूल जाते दिखे
कुछ बच्चे
सड़कों पे टहलते से दिखे दो दिल
सच्चे ||
जोड़ने कुछ और यादें
करने अपना सफ़र
चलते चलूँ
बढ़ते चलूँ ||
नयी राहों की तलाश में
नये सफ़र की आस में
नये सफ़र की आस में
लिये नये सपने निगाहों में
समेटने नये पल बाँहों में
चलते चलूँ
बढ़ते चलूँ ||
बढ़ते चलूँ ||
किसी नये शहर
को छूने
कुछ नये तज़ुरबे करने
कुछ नये तज़ुरबे करने
कभी नये लोगों को जानने
कभी पुराने दोस्तों से मिलने
चलते चलूँ
बढ़ते चलूँ ||
बढ़ते चलूँ ||
खुला आसमान
हो हाथों में
अपनी ही ज़मीन हो पांव में
अपनी ही ज़मीन हो पांव में
देखने ज़िन्दगी के नये रंग
बस चलते चलूँ
बढ़ते चलूँ ||
बढ़ते चलूँ ||
चलते चलूँ
बस बढ़ते चलूँ ||
बस बढ़ते चलूँ ||
Beautiful!!
ReplyDeleteI loved it. :-)
शुक्रिया :)
DeleteWow......
ReplyDeletethoda sa aur hona tha... bki i wud say nice...
ReplyDeletehmm.. safar chalta rahega.. thoda sa aur badhta rahega.. i agree with you mujhe bhi kuch kam lag raha tha.. baki i would say thank you :)
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