Sunday 8 June 2014

501 वाली मैडम!!

पहले जब मैं छोटी थी
तब सरकारी कॉलोनी में रहती थी
कॉलोनी के सब लोग जानते थे..
के ए ब्लाक 22 नंबर के घर में रहती हूँ मैं
वो जोशी जी की लड़की है

तब लगता था के कोई शैतानी कर दी
तो आ जायेंगे सब घर पर शिकायत ले के
सोचती थी क्यों ऐसी जगह रहती हूँ
जहाँ सब जानते हैं मुझे
हुह!! ठीक से मस्ती भी नहीं कर सकती

और अब जहाँ रहती हूँ ..

पाँचवे माले पे चार फ्लैट हैं
मगर पता नहीं मुझे के कौन हैं
नाम पता हैं नाम प्लेट्स पे पढ़ा है
मगर जानती किसी को नहीं हूँ
कभी बीमार भी पड़ती हूँ तो किसी को बुला भी नही सकती
शायद कोई आएगा भी नहीं
कोई जानता ही नही
तब दूर रहने वाली एक दोस्त को बुला लेती हूँ

अब सोचती हूँ,
शायद इसीलिए पापा सरकारी कॉलोनी में रहते थे
कम से कम लोग मदद के लिए तो खड़े रहते थे
मम्मी जब बीमार होती थी
तो बगल वाली आंटी रात भर उनके बगल में बैठी रहती थीं
और दीदी हम लोगों के पास
छोटे ही तो थे हम तीनों

अब तो बस लोग मुझे फ्लैट नंबर से जानते हैं

आप 501 वाली मैडम हैं न!!

7 comments:

  1. Short, but meaningful.
    Reminded me of something I told my friends once.
    Flats are called "apart"ments even when they are joined together, because it is the people who stay in them that are apart. I always believe that flatter settlements like chawls, colonies etc. have always more human connections than the buildings that we see today.

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    2. I totally agree.. but the way population is increasing, these apartment system will sustain long and also the cold relations among neighbors..
      Thanks for liking the poem..

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