Friday 19 July 2013

चला गया था वो

                                                                                                          
वही कमरा था वही लोग थे 
रोज़ाना से कुछ ज्यादा थे मगर 

कमरे की सामने वाली दीवार के सहारे उसकी तस्वीर रखी थी 
फूल चढ़े थे 
एक दिया जल रहा था तस्वीर के सामने 
कांच के ढक्कन से घेर रखा था दीपक को 

घर का दीपक मगर बुझ गया था

एक किनारे दीवार के सहारे माँ बैठी थी उसकी 
कुछ बुदबुदाती थी उसकी बातें याद कर के 
थोडा रोती फिर आंसू सूख जाते 
थोड़ी देर बार फिर रोने लगती 

एक जगह एक टक देखती रहती 
कहाँ ? पता नही 
कुछ ढूँढती रहती 
किसको ? पता नही 

फिर दरवाज़े से कोई अन्दर आता 
पहले उसके पिता फिर माँ को पकड़ के रुला देता
ढ़ाढस बंधता और चला जाता 

फिर रह जाता वही कमरा 
मगर रोज़ से कुछ ख़ामोश सा 
घर में शोर मचाने वाला चला गया था 
घर का  छोटा बेटा 
चला गया था 
छोटी सी उम्र में ही 
माँ बाप को पीछे छोड़ के 

बाप तो कुछ संभल जाता है 
माँ कभी नही संभल पाती 
२ महीने का बच्चा भी जाता है तो उम्र भर उसे याद करके रोती है 
फिर ये तो जवान था 
हर पल, हर चीज़, घर की हर बात में उसकी यादें थी 

बेटे को कन्धा देना शायद कोई बाप सोचता भी नही होगा 
उसको मुखाग्नि देकर आये वो 
भगवान् की मार से थके एक किनारे बैठे थे 
इतना हारा इतना थका उनको कभी किसी ने नही देखा 

हर रिश्तेदार, परिचित को हाथ जोड़ के आभार व्यक्त कर के 
देखते रह जाते थे वो 

वही खाली कमरा 
रोज़ से कुछ खामोश सा 
उसके जाने से खाली 
उसकी यादों से भरा

फिर रह जायेगा 
वही कमरा 
रोज़ से कुछ खाली सा 

चला गया था वो 
कभी न आने के लिए 
खामोश कर जाने के लिए 
हमेशा हमेशा के लिए 

3 comments:

  1. Deeply Thought..!
    May His Soul Rest in Peace.....

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  2. Can't comprehend the feelings in words..painful and a scar that is never gonna heal...R.I.P May the family get strength.

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